रंग लाता दिख रहा है ‘सुशील कुमार’ का “गौरैया संरक्षण अभियान”

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गौरैया को बचाने के लिए करोड़पति सुशील कुमार का प्रयास रंग लाता दिख रहा है। इस अभियान के तहत उनके द्वारा लगभग 3000 घोंसला अपने जिले में लगाया गया है। विलुप्त हो रही गौरैया आज फिर से आंगन में चहचहाने होने लगी है…


मोतिहारीनकुल कुमार
Tuesday / 21-12-2021
मोतिहारी। “कौन बनेगा करोड़पति” सीजन 5 के विजेता करोड़पति सुशील कुमार 5 करोड़ रुपये जीतने के बाद जितने पॉपुलर नहीं हुए। उससे ज्यादा प्रसिद्धि उनके द्वारा पर्यावरण एवं पक्षियों को बचाने की दिशा में उठाए गए कदम से मिल रही है।
केबीसी सीजन 5 जीतने के बाद भी सुशील कुमार ने अपने जमीनी जुड़ाव को नहीं छोड़ा। उन्होंने चंपारण की पहचान चंपा के पौधे को “चंपा से चंपारण” अभियान के तहत पूरे चंपारण में घूम-घूम कर हर दरवाजे पर लगाने लगे।
आज पूरे चंपारण में जितने लोगों के दरवाजे पर चंपा के पौधे लगे हैं उनमें से अधिकांश पौधे सुशील कुमार के द्वारा ही लगाए गए हैं। इतना ही नहीं सुशील कुमार के द्वारा चलाए गए इस अभियान के पहले अधिकांश लोगों ने चंपा का नाम तो सुना था लेकिन पौधे को नहीं देखा था। इस संदर्भ में सुशील कुमार कहते हैं कि अब तक लगभग 70 से 80 हजार चंपा के पौधे लगाए गए हैं। उनमें से अधिकांश पौधे में फूल आने लगे हैं।
चंपा से चंपारण एवं गौरैया संरक्षण अभियान की सफलता पर करोड़पति सुशील कुमार कहते हैं कि… चंपा का पौधा हमारे चंपारण की पहचान है क्योंकि चंपा के अरण्य से ही चम्पारण नाम पड़ा है। अर्थात पहले यहां चंपा का जंगल हुआ करता था लेकिन बदलते वक्त के साथ यह विलुप्त हो गया था।
वो कहते हैं कि मेरा सौभाग्य है कि मैं अपने चंपारण की पहचान, चंपा के पौधे को घर-घर तक पहुंचा पाया, लोगों को चम्पारण के गौरवशाली अतीत के सुनहरे अध्याय को याद दिलाकर भावनात्मक रूप से जोड़ने में कामयाब रहा।
वो कहते हैं कि आज जब “गौरैया संरक्षण अभियान” के तहत गौरैया का घोंसला लगाने जाता हूं और चंपा के बड़े-बड़े पेड़ों को देखता हूं, उनमें लगे हुए फूल एवं उसकी सुगंध को महसूस करता हूं तो लगता है कि जिस कल के लिए मैंने मेहनत की थी वह सार्थक गया। इतना ही नहीं वे वर्तमान पीढ़ी एवं भावी पीढ़ी से इस अभियान को आगे बढ़ाने की उम्मीद भी करतें है।

करोड़पति सुशील कुमार का अभियान यहीं नहीं रुका। उन्होंने विलुप्त हो रही गौरैया के संरक्षण की दिशा में काम करना शुरू किया एवं “गौरैया संरक्षण अभियान” चलाया। इसके तहत वो घर-घर जाकर गौरैया का घोंसला लगाने लगे। जिसका सार्थक परिणाम यह हुआ कि जिन जगहों पर गौरैया विलुप्त सी हो गई थी, वहाँ भी उसकी चहचहाहट(Chirping) लौट आई हैं । इस संदर्भ में सुशील कुमार कहते हैं कि अब तक 3000 गौरैया का घोंसला लगाया जा चुका है एवं यह अभियान अभी भी जारी है।
मालूम हो कि आजकल इसी अभियान के तहत सुशील कुमार विद्यालयों में जाकर बच्चों को जागरूक कर रहे हैं ताकि इस अभियान को व्यापकता मिल सके एवं देश के कर्णधार बच्चों में इसके संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता जागृत हो पाए।
गौरैया संरक्षण अभियान की शुरुआत करने का आईडिया सुशील कुमार को कहां से आया इस पर करोड़पति सुशील कुमार कहते हैं कि जब मैं चंपा के पौधों को लगाने के लिए घर-घर जाता था तो ग्रामीण क्षेत्रों में गौरैया और उसकी चहचहाहट तो सुनाई देती थी किंतु शहरी क्षेत्रों में गौरैया एकाएक विलुप्त सी हो गई थी। मैंने सोचा क्योंना गौरैया को फिर से शहरी परिवेश में लाया जाए और फिर मैंने इसके लिए प्रयास शुरू किया और लकड़ी का घोंसला घर-घर लगाना शुरू किया। चाहे शहर हो अथवा गांव सभी जब हम पर घोंसला लगाने का कार्य आज भी जारी है।
वे कहते हैं कि जिन लोगों के घरों में गौरैया का घोंसला लगाया गया था जब उन घरों में गौरैया रहने के लिए आने लगी और लोग फोटो खींच कर इसकी पुष्टि करने लगे तो लगता है कि मैंने जिस गौरैया को बचाने का प्रयास किया था मेरा वह प्रयास सार्थक हो गया।
पाठक बंधुओं कौन बनेगा करोड़पति से करोड़ों रुपए जीतकर तो बहुत लोग गए हैं लेकिन जमीन से जुड़कर पर्यावरण एवं जीव संरक्षण के क्षेत्र में करोड़पति सुशील कुमार ने जो मुकाम हासिल किया है वहां तक विरले ही पहुंचें हैं। इतना ही नहीं देखा जाए तो सही मायने में सुशील कुमार को वास्तविक ख्याति 5 करोड़ रुपया जीतने से नहीं मिली उतना चंपा से चंपारण एवं गौरैया संरक्षण अभियान से मिली है एवं मिल रही है।

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