चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहुंचे भारत चेन्नई एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत

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 चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत पहुंच चुके हैं उनके भारत पहुंचते ही चेन्नई एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया गया

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत पहुंच चुके हैं इसके बाद वे महाबलीपुरम अथवा मामल्लपुरम भी जाएंगे। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी दूसरी अनौपचारिक मुलाकात होगी।

इससे पहले भी चाइना में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के गिरी नगर  बुहान में इस तरह की  एक अनौपचारिक मीटिंग हो चुकी है

जिस महाबलीपुरम  को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए  सजाया गया है  उस महाबलीपुरम  का चीन के साथ 1700 साल पुराना इतिहास है ।

इतिहासकारों के मुताबिक पल्लव वंश के शासन काल में वहां के प्रतापी राजा नरसिंह देव वर्मन द्वितीय ने चीन के साथ अपने व्यापार व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए अपने दूतों को चीन भेजा था

तमिलनाडु के चेन्नई से  55 किलोमीटर दूर स्थित महाबलीपुरम बंगाल की खाड़ी के किनारे बसा एक शहर है  जो प्राचीन समय में व्यापार का बड़ा हक था एवं पूर्वी देशों के साथ यहां से सीधे व्यापार-व्यवसाय होता था

महाबलीपुरम अपने विशालकाय मंदिरों और समुद्री तटों के लिए मशहूर है  यहां के स्मारक एवं वास्तुकला ऐतिहासिक होने के साथ-साथ बेहद खूबसूरत है ।

महाबलीपुरम के पास एक पहाड़ी है जिसके ऊपर एक दीपस्तंभ बना हुआ है यह दीपस्तंभ  समुद्री यात्रियों को सुरक्षित बनाने के लिए बनवाया गया था

इतिहासकारों के मुताबिक पल्लव वंश का पहला महान शासक महेंद्र वर्मन प्रथम थे जो कि 600 से 630 ईसवी तक गद्दी पर बैठे गद्दी पर बैठते हैं इनका संघर्ष चालुक्यों के साथ प्रारंभ हुआ। प्रथम दौर में इन्हें विफलता का मुंह देखना पड़ा और अपने साम्राज्य का उत्तरी भाग चालुक्यों के लिए छोड़ना पड़ा परंतु शीघ्र ही संगठित होकर इन्होंने पुणे युद्ध छेड़ा और पुलकेशिन द्वितीय को पराजित किया जो कि चालुक्य साम्राज्य का शासक था।

महेंद्र वर्मन का प्रथम पुत्र नरसिंह वर्मन अपने पिता से अधिक बलवान साबित हुआ  उसने  महा मल की उपाधि धारण की जिसका अर्थ होता है महान योद्धा  महेंद्र वर्मन के साथ हुए युद्ध में अपनी पराजय का बदला लेने के लिए  पुलकेशिन द्वितीय ने नरसिंह वर्मन पर आक्रमण किया  परंतु इसमें पुलकेशिन की पुणे बुरी तरह से पराजय हुई  पल्लव ने पुलकेशिन का पीछा  उसकी राजधानी वातापी तकिया  और उसकी राजधानी पर कब्जा कर लिया  युद्ध में  पुलकेशिन की मृत्यु हो गई  जिसके पश्चात पर लोगों ने वातापी को खूब लूटा और चालुक्य के राज्य पर अगले 13 वर्षों तक राज्य किया

नरसिंह वर्मन ने श्रीलंका पर भी आक्रमण किया था प्रथम आक्रमण में उसे अधिक सफलता नहीं मिली क्योंकि उसकी सेना के लौटते हैं मानव वर्मा नाम का वह राजा श्रीलंका से भाग खड़ा हुआ जिसको नरसिंह वर्मन ने सिंगल में अपने प्रतिनिधि के रूप में स्थापित किया था परंतु द्वितीय आक्रमण में उसे पूर्ण सफलता प्राप्त हुई और श्रीलंका की पराजय हुई महाबलीपुरम के जगत प्रसिद्ध रथ मंदिरों का निर्माण नरसिंह वर्मन के समय में हुआ था।

नरसिंह वर्मन के बाद कई पल्लव शासक गद्दी पर आए  जिनका युद्ध उत्तर-पश्चिम में चालुक्यों तथा दक्षिण-पश्चिम में पाण्डयों के साथ रुक रुक कर चलता रहा। कभी उनकी हार होती थी तो कभी जीत होती थी अंततोगत्वा 950 ईसवी के आसपास पल्लव राज्य पर चोलों का अधिपत्य हो गया और इस प्रकार पल्लव वंश का शासन समाप्त हो गया।

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