किसी भी गुरु को पीटना हमारी ओछी मानसिकता का प्रतीक:: अमित चौबे
आम आदमी पार्टी के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी एवं समाजसेवी अमित चौबे ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के शिक्षक की पिटाई के संबंध में अपनी Facebook पोस्ट पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि…
“किसी भी गुरु को मारना पीटना हमारे ओछे सोच और कुत्सित मानसिकता को दिखाता है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबका मौलिक अधिकार है ।”
अमित चौबे इतना ही पर नहीं रुके बल्कि उन्होंने यहां तक लिखा कि उन्हें इस बात से शर्म आ रही है कि वह मोतिहारी के हैं क्योंकि मोतिहारी में छात्रों के संस्कार इतने गिर गए हैं कि उन्होंने अपने गुरु की एक कॉमेंट पर उसे घर से खींचकर मारा दुखी मन से अमित चौबे लिखते हैं कि
सुनो तुम लोगों के इस कु-कृत्य से मुझे मोतिहारी का होने से #शर्म आ रहा है ।
आगे अमित चौबे ने कहा कि मोतिहारी(चम्पारण) शहर जो कि सत्याग्रह की धरती है, गांधी की धरती है,जोकि अहिंसा की धरती है। उसी धरती से आज गुरु को पीटने अर्थात हिंसा की खबर आ रही है जो कि कहीं से सही नहीं कहीं जा सकती। इतना ही नहीं अमित चौबे ने लिखा की चंपारण की गई धरती पूरे भारत को अपने अहिंसा के प्रयोग से आजादी प्राप्त करने का रास्ता दिखलाई थी और इसी भूमि के छात्र आज अहिंसा के रास्ते से भटक गए। इस संबंध में अमित चौबे अपने हृदय की पीड़ा व्यक्त करते हुए लिखते हैं कि
#गुंडे मवाली का शहर ना बनावो सत्याग्रह की धरती को ।
मोतिहारी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की याद दिलाते हुए समाजसेवी अमित चौबे लिखते हैं कि….
#मोतिहारी : (बापूधाम ) पूरी दुनिया को सत्य अहिंसा के प्रयोग से आज़ादी प्राप्त करने का रास्ता दिखाने वाले शहर और उस संस्कार को जाने क्या हो गया ।
मालूम हो कि 16 अगस्त को महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के शिक्षक संजय कुमार ने अपनी Facebook पोस्ट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी पर टिप्पणी की थी जिसके बाद असामाजिक तत्वों ने उनके घर से खींचकर बुरी तरह से उनको टॉर्चर किया था फिलहाल प्रोफेसर साहब पटना के पीएमसीएच में भर्ती हैं।
गौरतलब बात यह है कि पहले के जमाने में गुरु शिष्य परंपरा जो होती थी वह आधुनिक विज्ञान के जमाने में खत्म हो गई है क्योंकि पहले की गुरु शिष्य परंपरा भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई थी किंतु आज की गुरु शिष्य परंपरा वैज्ञानिकता से जुड़ी है मालूम हो कि वैज्ञानिकता में भावना का कोई भी स्थान नहीं होता हैइसीलिए शायद स्मार्टफोन का प्रयोग करने वाली युवा पीढ़ी आज शिक्षक की पिटाई करके अपनी स्मार्टनेस जरूर खो दिया है क्योंकि प्रोफेसर संजय कुमार ने टीका टिप्पणी करके तो गलत किया ही,लेकिन जो छात्रों ने किया वह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए सही नहीं कहा जा सकता।।
जिस कॉलेज कैंपस को शैक्षणिक माहौल में होना चाहिए वह कॉलेज कैंपस राजनीतिक और जातिगत अखाड़ा का केंद्र बना हुआ है इसलिए शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है।