Featured Video Play Icon

ऐ दोस्त अलविदा अब, ये सलाम याद रखना…

वीडियोस साहित्य

“जीवन की पलकों पर ठहरा हुआ “आँसू” ढलक गया: गुलरेज शहजाद”

भोजपुरी और हिंदी के मूर्धन्य कवि और उपन्यासकार अश्विनी कुमार आँसू का रविवार को 76 वर्ष की उम्र में देहावसान हो गया।
आपका जन्म सुगौली अंतर्गत ग्राम/पो० सुगाँव में 01 जनवरी 1944 को हुआ।हिंदी भाषा-साहित्य से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।इसके अतिरिक्त संगीत,समाज शिक्षा, पुस्तकालय विज्ञान,राज्य स्तरीय लेखा एवं पंचायती राज अधिनियम परीक्षोतीर्ण रहे।समाज शिक्षा अनुदेशक,लेखापाल सह प्रधान सहायक के पद से सेवानिवृत्त होकर गांव पर ही रह रहे थे।

निलही कोठी,निरालय,दोहावली,मुक्तक मधु,ऐसे होगा भारत महान(नवजागरण गीत),प्रगति के पच्चीस द्वार,मोतियों की माला(हिंदी गीत संग्रह)संजीवनी(हिंदी गजल संग्रह),आराधना(भोजपुरी गजल संग्रह),चंदन,रामा(हिंदी उपन्यास),राष्ट्रपिता (हिंदी महाकाव्य,जो लेखन के क्रम में था) और धरोहर(भोजपुरी गीत एवं कविता संग्रह)उनकी रचनात्मक कृतियाँ हैं।
निलही कोठी पर दिल्ली दूरदर्शन के द्वारा इनके द्वारा काव्य पाठ करते हुए बनाई गई फ़िल्म ” नील।के धब्बे ” 1990 से देश-विदेश में किसी भी राष्ट्रीय दिवस पर प्रदर्शित की जाती है।

आपने विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम के निर्माण में सहयोगी की महत्वपूर्ण सहयोगी की भूमिका निभाई।अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन,भोजपुरी अकादमी बिहार और विश्व भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के संस्थापक सदस्य रहे।भोजपुरी और हिंदी की कई महत्वपूर्ण संस्थाओं से आपकी संबद्धता रही।एनसीईआरटी और स्पीड के साहित्यिक सेमिनारों में कई बार विशेष आमंत्रित साहित्यकार के रूप में शामिल हुए।कई साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं ने उनके साहित्यिक अवदान के लिए उन्हें सम्मानित किया।
भोजपुरी गजल के शलाका पुरुष पाण्डेय कपिल के शब्दों में अश्विनी कुमार आँसू भोजपुरी के धरोहर हैं।
भोजपुरी के मूर्धन्य कवि और आलोचक डॉ०ब्रजभूषण मिश्र ने संवेदना प्रकट करते हुए कहा है-
चंपारन की धरती से भोजपुरी गीत,गजल और कविता का परचम लहराने वाले अश्विनी कुमार ‘आँसू ‘ के निधन की सूचना मर्माहत कर गई । जब मैं स्कूल का विद्यार्थी था ,तब से उनको सुनता आ रहा था । मोतिहारी में पढ़ते समय उनका सानिध्य मिला । जब मैं साहित्यिक आयोजनों से जुड़ा , तो मेरे अनुरोध पर वे कांटी , साहेबगंज और केसरिया में आते रहे । उनका गीत ‘ टोअलो में टिसेला छिँउकिया के साटी राम ‘ बड़ा प्रसिद्ध था । इस एक गीत पर प्रसिद्ध आलोचक महेश्वराचार्य ने चौदह पृष्ठों में अपना उद्गार व्यक्त किया था । बिहार विश्वविद्यालय में भोजपुरी पाठक्रम लागू होने पर पद्य और गद्य संग्रह के संपादन में उनका सहयोग था । पं. गणेश चौबे के यहाँ से सामग्रियों की खोज में उनका भी श्रम था ।
अश्विनी कुमार आँसू ने हिंदी उपन्यास की भी रचना की है लेकिन वे मूलतः कवि थे।हिंदी में भी उन्होंने खूब रचा लेकिन उनकी प्रसिद्धि भोजपुरी में रही और मंचों पर अधिकांशतः भोजपुरी में सस्वर काव्य पाठ किया करते थे।वे एक सुकंठ कवि थे।
अश्विनी कुमार आँसू ने कई कालजयी गजलों और गीतों की रचना की।उनकी कई कविताएं लोगों की जबान पर चढ़ी हुई हैं।

Advertisements

◆मीत जब अनचिन्हार हो जाला
सगरो दुनिया अन्हार हो जाला
नेह रहला बिना अपन अंगना
जइसे अनकर दुआर हो जाला

◆टोअलो में टीसेला छिंउकिया के साटी राम… /
◆अजगुत कहलो ना जाला रे हिरामन सुगना …. /
◆कुछहू ना अचरज लागे हो दयानिधि ….
और ऐसी ही कितनी रचनाओं का पाठ करते हमने बचपन से उन्हें सुना है।अंदर से आहत हूँ।उनका देहावसान साहित्य जगत के लिए एक बड़ा नुकसान तो है ही लेकिन मेरे लिये एक निजी क्षति है।मेरे पिता जी के मित्रों में थे।मेरे घर उनका आना जाना था।मैं भी उनके गांव जा कर उनसे मिलता रहता था।पिछले साल उनका साक्षात्कार शूट किया।बहुत सी कविताओं का उन्होंने पाठ किया और अपने निजी और साहित्यिक जीवन की महत्वपूर्ण बातें साझा की।
उनके भोजपुरी गीतों और कविताओं का संकलन ” धरोहर ” मैथिली भोजपुरी अकादमी,दिल्ली ने प्रकाशित करने के लिए चयनित किया है लेकिन अफसोस कि उनके जीवन काल में वह संग्रह प्रकाशित नहीं हो सका।यह बात मुझे जीवन भर सालती रहेगी।
◆ नमन।

अन्य ख़बरें

मेरे मन की कब सुनी
गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर 25 सितंबर से 2 अक्टूबर तक आयोजित होंगे विभिन्न कार्यक्रम
वीर कुँवर सिंह गाथा" को मंच से जीवंत करने वाली अनुभूति शांडिल्य "तीस्ता" नहीं रही
Sweta singh "मिशन साहसी जिला सह प्रमुख श्वेता सिंह " live
अटल जी की श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह
भितिहरवा आश्रम पहुंची कंचन गुप्ता, तेली समाज को संगठित करने का लिया संकल्प
शिविर लगाकर 117 दिव्यांगों का हुआ रजिस्ट्रेशन: डॉक्टर लाल बाबू प्रसाद
"सा रे गा मा" फेम गायिका आंशिका सिंह ने दी शानदार प्रस्तुति
शिक्षक दिवस विशेष में सहकारिता मंत्री बिहार राणा रणधीर सिंह
पनघट पर पथीक है प्यासा......... सत्येन्द्र मिश्र
माँ.......... अवर्णनीय, अद्भुत, अतुल्य।
Big News coming from Britain by DK Dube
मन तो बावरा है निश्छल प्रेम की चाह में दर दर भटकता रहता...!
कांग्रेस ने हिंदुस्तान की छवि एक कमजोर राष्ट्र के रूप में बना दिया था: कालराज मिश्र
अटल जी को कवयित्री मधुबाला सिन्हा की श्रद्धांजलि
राधा कृष्ण मंदिर वृक्षे स्थान मोतिहारी के महंत राम सागर दास से पत्रकार नकुल कुमार की खास बातचीत
भोजपुरी लोक गायिका "तिस्ता" से अंतिम बातचीत का वीडियो
मोतिहारी में आयोजित होगा अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का 26 वां अधिवेशन
झूठ के बदन दोहरे देख रहा हूँ...
बुलबुला अकारण ही उड़ने लगा था...

Leave a Reply